बहुत सुंदर
हे राम अब उसे भी काट लो ... लेकिन वोट???
बहुत ही बढ़िया व्यंग्य
हा हा!! बहुत सटीक!
वाकई में गला ही शेष है..
उफ्फ! सरकार भी टेलरिंग के धन्धे में. अब काट ही लो
kitna satik!
और जेब?सबसे पहले तो वही कटी होगी.
सभी स्नेही टिपण्णी दाताओं का दिल से आभार..!
Great one ........kai logo ka to gala bhi nahi bacha ..........
बहुत सही .. कटने को गला ही रह गया है !!
झकास।--------करे कोई, भरे कोई?हाजिर है एकदम हलवा पहेली।
घुट घुट के मरने से तो गला कटना ज्यादा अच्छाक्या कहना सुरेश भाई मार डाला
खंजर तने हुए हैं और सर झुके हुए हैं मकतल सा लग रहा है मंज़र तेरी गली में......
अब तो ये ही बचा है :)
बहुत ही बढ़िया व्यंग्यHA HA HA HA HA HA
प्रिय माधव, तुमने मेरे ब्लॉग पर आकर टिपण्णी की..बहुत-बहुत आभार ! आते रहना !
बढ़िया है जी...आप का कहने का अन्दाज...बढ़िया व्यंग्य......
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteहे राम अब उसे भी काट लो ... लेकिन वोट???
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया व्यंग्य
ReplyDeleteहा हा!! बहुत सटीक!
ReplyDeleteवाकई में गला ही शेष है..
ReplyDeleteउफ्फ! सरकार भी टेलरिंग के धन्धे में. अब काट ही लो
ReplyDeletekitna satik!
ReplyDeleteऔर जेब?
ReplyDeleteसबसे पहले तो वही कटी होगी.
सभी स्नेही टिपण्णी दाताओं का दिल से आभार..!
ReplyDeleteGreat one ........kai logo ka to gala bhi nahi bacha ..........
ReplyDeleteबहुत सही .. कटने को गला ही रह गया है !!
ReplyDeleteझकास।
ReplyDelete--------
करे कोई, भरे कोई?
हाजिर है एकदम हलवा पहेली।
घुट घुट के मरने से तो
ReplyDeleteगला कटना ज्यादा अच्छा
क्या कहना सुरेश भाई
मार डाला
खंजर तने हुए हैं और सर झुके हुए हैं
ReplyDeleteमकतल सा लग रहा है मंज़र तेरी गली में......
अब तो ये ही बचा है :)
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया व्यंग्य
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प्रिय माधव,
ReplyDeleteतुमने मेरे ब्लॉग पर आकर टिपण्णी की..बहुत-बहुत आभार ! आते रहना !
बढ़िया है जी...
ReplyDeleteआप का कहने का अन्दाज...
बढ़िया व्यंग्य......