आप भी सदस्य बनें-

Wednesday 24 June, 2009

महिलाएं मुझे माफ़ करना (बहस)

मेरे इस कार्टून पर मुझे ढेर सारी टिप्पणियां प्राप्त हुई है, जैसी मुझे उम्मीद थी, वैसा ही हुआ भी, अबतक प्राप्त कुल १८ टिप्पणियों में से १६ टिप्पणियां पुरुषों ने भेजी और मात्र २ महिलाओं ने भेजी,पुरुषों ने तो कार्टून की जी भर प्रशंसा कर मेरा समर्थन किया, पर शायद २ महिलाओं के कमेन्ट से ही ये एहसास हो गया की उन्हें मेरे कार्टून से शिकायत है, प्रियांकाजी ने लिखा- महिलाएं चाँद तक जा पहुँची है, और आप अभी भी चुगली की बात करते हो, प्रियांकाजी की इस टिपण्णी का विरोध मैं तो नही करूंगा, पर इसपर एक खुली बहस मैं जरूर चाहता हूँ , मैं महिलाओं से फिर अपील करूंगा वे एक बार इस कार्टून को देखें,खुले दिमाग से अपनी प्रतिक्रिया देकर इस बहस में शामिल हों, मैं भी नारी का सम्मान करता हूँ, नारी जननी है, मां है,पत्नी बहन और बेटी है, नारी की देवी के रूप में हमारे देश में पूजा की जाती है, फिर भी मैंने ऐसा कार्टून क्यों बनाया ? यही बहस का मुद्दा है, प्रियांकाजी ने कड़ी टिपण्णी की है एक तरह से विरोध ही किया है, अब उन सभी मित्रों का ये फर्ज बनता है की वे इस कार्टून के पीछे जो उद्देश्य है,उसे महिलाओं के सामने लायें ! नीतिश जी ने लिखा-सच्चाई में माफ़ी क्या? तो शर्माजी ने लिखा- ये तो शास्वत सत्य है, पाबलाजी ने कहा-एक वैज्ञानिक तथ्य को कार्टून बता रहे हो, इसी तरह से मित्रों ने हमारा साथ दिया है, पर शायद महिलाएं ग़लत समझ बैठी हैं ...तो मित्रों, मुझे बचा लो, उन्हें बता दो, कार्टून में कही गई बात का अर्थ क्या है? आप नही बता पाये तो कल हम ही उतरेंगे मैदान में हेलमेट के साथ......कार्टून आज भी कल का ही है ,ताकि कुछ महिलाएं और पढ़ें...बहस में भाग लें ....थैंक्स!
----------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------

7 comments:

  1. चुगली करे बिना
    नहीं कोई उपाय
    पूछ लो अपनी
    बहनों से सभी
    बिना शरमाय।

    ReplyDelete
  2. व्‍यंग को व्‍यंग की तरह देखना चाहिये, कार्टून तो मस्‍त है।

    अब आप दावत देकर अखाड़ा खोलेगे तो पहलवानी तो होगी ही। :)

    ReplyDelete
  3. सुरेश भाई,,,मतलब ये की माफी नहीं मिली...आप लगे रहिये...

    ReplyDelete
  4. सुरेश की मेरा तो हंस हंस के बुरा हाल हो रहा है, सच लिखु तो हमरी वीवी भी हमारी इस हंसी मै शामिल है,वेसे अविनाश वाचस्पति जी की पिछली टिपण्णी पर विचार किजिये...
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  5. भाई ....ब्लॉग जगत में पुरुषों में जैसी जुतामपेजार हो रही है ...उसे करने से तो चुगली खाना ज्यादा अच्छा है ..क्यूँ क्या कहते हैं

    ReplyDelete
  6. कार्टून तो सच्चाई बयान करने वाले है इसमें बहस की कोई जरुरत ही नहीं |

    ReplyDelete
  7. लगता है आप
    चुगली करवा
    कर ही मानेंगे

    ReplyDelete

आपकी एक टिपण्णी हमारा मनोबल बढ़ाएगी !