आज लगातार तीन-चार दिनों से
ढंग से कार्टून नहीं बना पर रहा हूँ। ब्लोगरों की आपसी
जूतम-पैजार ने दिन का चैन और रातों की नींद उड़ा दी है। सभी
पढ़े-लिखे ब्लोगर हैं। बावजूद ,
असभ्यता पर उतर आए हैं.(मेरा संकेत उनकी तरफ़ है जो अलबेला विवाद में रोटी सेंक रहे हैं) आप इंसान की बात तो छोडिये, गलतियाँ भगवान् से भी हुई है, अलबेलाजी ने शायद अपनी समझ से कोई गलती न की हो, पर बड़ी तादाद में लोग जब समझा रहे हैं कि, अलबेलाजी, आपने बड़ी गलती की है फिर भी अलबेलाजी इसे नजर अंदाज कर एक के बाद एक गलतिया करते ही जा रहे हैं तो हमें उन्हें स्नेह से समझाना होगा, उन्होंने अपने ब्लॉग पर -बहन चो, बहन चो, जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया यह कहकर कि- लोग खुलेआम, माँ -बहन करते चलते हैं, ये कैसी सभ्यता है? इसपर खत्री जी को मैं कहना चाहता हूँ- गंदों के साथ आप क्यों गन्दगी अपनाते हो, ऐसे गंदे गाली-गलोज वाले udharahan प्रस्तुत करने कि जरूरत ही क्या है ? माँ सरस्वती ने आपको अच्छा साहित्य लिखने कि ताकत दी है, आप उसका अनादर कर रहे हो, इस संसार में
achhai और बुराइयाँ एक साथ चल रही हैं, तय हमें करना है, किसके साथ चलना है, मेरा तो ये मानना है कि - जिस जुबान पे सरस्वती का निवास होगा,उस जुबान पे गालियों का न नाम होगा। मैं दिल से आपका सम्मान करता हूँ, और चाहता हूँ, आप अपनी पुरानी हंसने-हँसाने
कि राह पर वापस आ जायें, अगर आपको लगता है कि आपसे भूल हुई है तो माफ़ी मांग लेने में संकोच नहीं करना चाहिय, आगे आप ख़ुद समझदार हैं, मैंने आपके pakchh में भी टिप्पणी कि है, पर आप ख़ुद मामले को उलझाते चले जा रहे हो , आप चाहें तो सब ठीक हो जाएगा ,ये आपके हाथ में हैं ,ब्लोग्वानी परिवार के आप चहेते सदस्य हैं ,सबका प्यार आपको मिलेगा, बस आप पहल करके तो देखें। मैं सुरेश शर्मा आप सभी बहन-भाइयों से इस बात कि माफ़ी चाहता हूँ कि - मुझे भी कुछ गंदे शब्द इस्तेमाल करने पड़े.
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