एक समय ऐसा भी था जब इन्सान और जानवर में कोई फर्क नहीं था, ...
हम भी नंगे, वे भी नंगे ! बदलते समय के साथ इंसान सभ्य होता गया ,सभ्यता हमारी पहचान बन गई,
हम शर्म-हया को समझने लगे, हमने इज्जत के प्रतिक - कपड़ों को अपनाया, हमारे खान-पान के तरीके भी बदले, जंगली कंद-फल की जगह हम अन्न खाने लगे , हमारी थाली में रोटी- सब्जी आ गई,
हम पूरी तरह से बदल गए, हमने हमारे आगे
(आदि-मानव ) लगे शब्द में से आदि शब्द को निकाल फेंका,
हम मानव बन गए, अब मुझे डर है कि- महंगाई कि मार हमें फिर से आदि -मा!!!!!!!!!!!!!!!!!!!पेश है दर्द को बयां करता ये कार्टून-
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